Thursday, 27 September 2012

LATA MANGESHKAR

जन्म दिवस 28 सितम्बर पर विशेष
भारत रत्न लता मंगेशकर

कोकिल कंठ लता मंगेशकर के बारे में उस्ताद अमजद अली खां का मानना है कि अगर ताजमहल सातवां अजूबा है तो लतामंगेशकर आठवां। उस्ताद बडे गुलाम अली खां उन्हें तीन मिनट की जादूगरनी कहा था। लता जन्म 28 सितम्बर 1929 को शनिवार की रात्रि में दस बजकर तीस मिनट पर अपनी मौसी के घर इन्दौर (मध्य प्रदेश) भारत में हुआ। बचपन में लता नूरजहां और सहगल के गीत गुनगुनाया करती थीं। जब यह 13 वर्ष की थी तो इनके पिता मास्टर दीनानाथ मंगेशकर क निधन हो गया जो एक संगीत नाटक कंपनी चलाते थे। अब घर की सारी जिम्मेदारी लता के कंधों पर आन पडी। अपनी चार बहनों और एक भाई में सबसे बडी लता को इनके चाचा मास्टर विनायक ने अपनी कंपनी में बालकलाकार के रूप में काम देकर इनकी सहायता की। इनका बचपन में हेमा नाम रखा गया। बचपन में इनके पिता जी इन्हें प्यार से हृदया पुकारते थे। इसके बाद इनका नाम लता हो गया। बचपन में अपने उस्ताद अमानत अमान अली से फिर उस्ताद अमानत खां देवास वाले तथा उस्ताद बडे गुलाम अली खां के शागिर्द पं. तुलसी दास शर्मा आदि महान गायकों से संगीत की शिक्षा प्राप्त की। इनको सुगम संगीत से बेहद लगाव रहा। इतना अनुभव प्राप्त करने के पश्चात लता ने आरंभ में कुछ हिन्दी फिल्मों -बत्रडी मां (1945), जीवन यात्रा (1946), मन्दिर (1948) और छत्रपति शिवाजी (1952), आदि में अभिनय किया। इसके अतिरिक्त लता ने 5 मराठी फिल्मों में अभिनय भी किया।
9वर्ष की उम्र में पहली बार शास्त्रीय गायन पेश करने वाली गायिका तला मंगेशकर ने अपने जीवन का सबसे पहला हिन्दी फिल्मी पार्श्वगीत पा लांगू कर जोरी रे श्याम मुझसे न खेलो होरी रे, फिल्म आपकी सेवा में 1947 में गाया जिसके संगीतकार थे। दत्ता डावजेकर और गीतकार थे महिपाल। इस समय फिल्मों में - नूरजहां, शमशाद बेगम, जोहरा बाई अंबाला वाली, अमीर बाई कर्नाटकी, सुरैया, राजकुमारी जैसी सफल गायिकाएं मौजूद थीं और इनके सामने टिकना बत्रडा कठिन था। ठीक इसी समय समय ने करवट बदली और नौशाद, अनिल विश्वास, खेमचन्द्र प्रकाश, सी. रामचन्द्र, शंकर जय किशन तथा मदन मोहन जैसे महान संगीतकारों ने लता से गीत गवाने शुरू कर दिए। देखते ही देखते सफलताएं इनके कदम चूमने लगीं। 1955 तक लता मंगेशकर अपने 1000 फिल्मी गीत गा चुकी थी। सभी नायिकाएं इनसे बहुत पीछे छूटती गयीं और लता का फिल्मी साम्राज्य स्थापित हो गया। हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि सारी दुनिया में लता की सुरीली आवाज सुनने वालों के कानों में रस घोलती रहती है। लता कापूरा व्यक्तित्व ही एक सादगी और पवित्रता से भरा हुआ है।
लता के गाये हिन्दी फिल्मी गीतों कीं संख्या लगभग 6000 से कम है। लता ने नौशाद-155, शंकर जयकिशन-453, सी. रामचन्द्र- 298, मदन मोहन-210, अनिल विश्वास-123,  हेमन्त कुमार- 139, चित्रगुप्त- 240, रवि-75, एस.डी. बर्मन - 182, आर.डी. बर्मन- 327, एल.पी- 666, कल्याणजी आनंद जी- 297, हुस्न लाल भगत राम- 107, आदि संगीतकारों के लिए स्वर दिया। इनके नाम पर मध्य प्रदेश सरकार ने 1984 से सुगम संगीत के क्षेत्र में अखिल भातरीय स्तर पर एक लाख रुपये का पुरस्कार देना आरम्भ किया है। अब तक यह नौशाद, किशोर, जयदेव, मन्ना डे, खय्याम, आशाभोंसले सहित कई फिल्मी हस्तियों को यह पुरस्कार मिल चुका है। भारत सरकार ने 1969 में पद्भभूषण प्रदान किया। सर्वोत्कृष्ट पार्श्वगायन के लिए लता जी को 4 बार फिल्मफेयर अवार्ड इन गीतों के लिए हासिल हुआ। फिल्म उद्योग और संगीत की उच्चतम सेवा के लिए फिल्म जगत के सर्वश्रेष्ठ दादा फाल्के पुरस्कार से 1989 में सम्मानितकिया गया। महान गायिका लता मंगेशकर को भारत के सर्वोच्च अलंकरण भारत रत्न से मार्च, 2001 में तत्कालीन राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायणन ने अलंकृत किया।



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