Wednesday, 12 June 2019

इंटरप्रेटर दे श-विदेश में डिमांड


ग्लोबलाइजेशन के इस दौर में करियर के बहुत- सेनए फील्ड डेवलप हुए हैं। इस ग्लोबलाइजेशन का असर भारत में भी पड़ा है। ऐसा ही एक फील्ड है लैंग्वेज इंटरप्रेटर। लैंग्वेज इंटरप्रेटर की डिमांड आज प्राइवेट कंपनीज से लेकर गवर्नमेंट ऑग्रेनाइजेशंस में भी देखी जा रही है। इस फील्ड में आने वाले युवाओं को अच्छी सैलरी के साथ-साथ देशिवदेश घूमने का पूरा मौका भी मिलता है। कई मल्टीने शनल कंपनीज में अलग से लैंग्वेज इंटरप्रेटर को अप्वाइंट किया जाता है। जानकारों के मुताबिक जै से- जैसे फॉरेन कंपनीज का विस्तार भारत में होगा, लैंग्वेज इंटरप्रेटर की डिमांड बढ़ती जाएगी
कार्य क्षेत्र - एक सफल इंटरप्रेटर अच्छा अनुवादक भी होता है। लैंग्वेज इंटरप्रेटर बनने के लिए सबसे पहले अपने आपको अनुवादक या ट्रांसलेटर के तौर पर स्थापित करना होता है। लैंग्वेज पर पूरी तरह से पकड़ बनानी पड़ती है। बात चाहे विदेशी फिल्मों की, हिंदी या दूसरी भाषाओं में डबिंग की हो, डेलिगेशन में लैंग्वेज को ट्रांसलेट करना हो या सीधे किताबों का अनुवाद करना हो, तो लैंग्वेज इंटरप्रेटर की जरूरत हर जगह होती है। 
डिमांड - इंटरप्रेटर यानी द्विभाषिए की जरूरत कुछ समय पहले तक ज्यादा नहीं थी, लेकिन हाल ही के कुछ वर्षो में द्विभाषियों की जरूरत कई स्तरों पर महसूस की जाने लगी है। सरकार में लोकसभा-राज्यसभा से लेकर विदेश मंत्रालय में द्विभाषियों की जरूरत काफी ज्यादा है। विदेश में जाने वाले कई डेलिगेशन्स में मिनिस्टर्स अपने साथ इंटरप्रेटर (द्विभाषिए) जरूर ले जाते हैं। खासतौर पर चीन व कई यूरोपीय देशों में, रूस में और खाड़ी स्थित देशों में जाते समय इनकी ज्यादा जरूरत होती है।
 स्किल्स - अनुवाद का काम महज डिग्री व डिप्लोमा से ही सीखा नहीं जा सकता। इसके लिए निरंतर अभ्यास और व्यापक ज्ञान की भी जरूरत पड़ती है। यह दो भाषाओं के बीच पुल का काम करता है। अनुवादक को इस कड़ी में स्रेत भाषा से लक्ष्य भाषा में जाने के लिए दूसरे के इतिहास और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि का भी ज्ञान हासिल करना पड़ता है। एक प्रोफेशनल अनुवादक बनने के लिए कम से कम स्नातक होना जरूरी है। इसमें दो भाषाओं के ज्ञान की मांग की जाती है। उदाहरण के तौर पर इंग्लिश-हिंदी का अनुवादक बनना है, तो आपको दोनों भाषाओं के व्याकरण और सांस्कृतिक व ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का ज्ञान जरूर होना चाहिए। 
करियर के लिहाज से देखें, तो इंटरप्रेटर को प्रथम श्रेणी के अधिकारी का दर्जा प्राप्त होता है। विदेशी कंपनियों को किसी देश में व्यवसाय स्थापित करने या टूरिस्ट को भी इंटरप्रेटर की जरूरत पड़ती है। एक इंटरप्रेटर यहां भी स्वतंत्र रूप से अपनी सेवा दे सकता है।

कोर्स - 
  1. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से परशियन लैंग्वेज में सर्टिफिकेट, बैचलर डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा कोर्स कर सकते हैं। 
  2. कर्नाटक यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन जर्मन लैंग्वेज और परशियन लैंग्वेज में बैचलर और पीएचडी कर सकते हैं। 
  3. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से जर्मन, फ्रेंच और इटैलियन, रशियन, जैपनीज लैंग्वेज में डिप्लोमा, डिग्री और मास्टर्स कर सकते हैं। 
  4. दिल्ली यूनिवर्सिटी से परशियन, फ्रेंच, जर्मन, इटैलियन, सरबियन लैंग्वेज में बैचलर डिग्री, मास्टर्स और पीएचडी कर सकते हैं। 
  5. जेएनयू दिल्ली से फ्रेंच, जर्मन, चाइनीज, स्पैनिश, जै पनीज लैंग्वेज में सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, बैचलर और पीजी कोर्स कर सकते हैं।

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