Sunday, 16 August 2020

UPSC Pre and Mains GS

UPSC 

 प्रारम्भिक परीक्षा


प्रारंभिक परीक्षा का पहला पत्र सामान्य अध्ययन का होगा। इसके लिए 200 अंक निर्धारित किए गए हैं। प्रारंभिक परीक्षा की तैयारी करने से पहले छात्रों को विगत 8 से 10 वर्षाें में पूछे गए प्रश्नों का विश्लेषण कर यह जानने का प्रयास करना चाहिए कि किस टापिक से कितना प्रश्न पूछा जाता है तथा उसकी प्रकृति क्या है। इसके लिए विषयगत वर्गीकरण कर एक सारणी बना लेनी चाहिए। इसके लिए विषयगत वर्गीकरण कर एक सारणी बना लेनी चाहिए। जिससे कोर टापिक सहजता से ज्ञात किया जा सके। यद्यपि प्रारंभिक परीक्षा में इस तरह की चयनात्मकता बहुत उपयुक्त नहीं कही जा सकती, लेकिन इससे तैयारी को एक दिशा अवश्य मिल जाती है। विभिन्न टापिकों से पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या को देखकर छात्र अपनी अध्ययन की रणनीति निर्धारित कर सकते हैं। इससे उन्हें सामान्य अध्ययन के विभिन्न खण्डों से प्रश्न पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या एवं प्रकृति के आधार पर अपना समय निर्धारित करने में भी मदद मिलेगी।

प्रारंभिक परीक्षा का दूसरा पत्र क्वालिफाइंग नेचर का होता है जिसमें उत्तीर्ण होना आवश्यक है। समय 2 धंटे होता है। इस पत्र में अनुत्तीर्ण होने पर आप पहले प्रश्न पत्र में अनुत्तीर्ण माने जाएंगे। इस प्रकार इस पत्र को भी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। 

मुख्य परीक्षा     

 मुख्य परीक्षा प्रारंभिक परीक्षा से अलग है। यहां विश्लेषण की अधिक जरूरत पड़ती है। पर जिस प्रकार से पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है उससे तो साफ स्पष्ट है कि प्रारंभिकी एवं मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन बहुत हद तक समान हो गए हैं। विश्लेषण दोनों जगह है। समसामयिकी और सामान्य ज्ञान की भूमिका दोनों जगह अधिक हो गयी है। ये समानताए यही कहती हैं कि अब सामान्य अध्ययन की तैयारी प्रारंभिकी और मुख्य परीक्षा के लिए अलग-अलग नहीं की जा सकती। समाचारपत्रों एवं पत्रिकाओं की भूमिका दोनों जगह काफी महत्वपूर्ण हो गयी है। सही तैयारी के लिए पहले सामान्य अध्ययन के पिछले 4-5 साल के प्रश्न पत्रों का अवलोकन अवश्य करें। पिछले वर्ष के प्रश्नों के अवलोकन से आप विभिन्न खण्डों से पूछे गए प्रश्नों की संख्या एवं उसके अंकों के विभाजन से अच्छी तरह वाकिफ हो जाएंगे। इसे बाद विभिन्न खण्डों के लिए रणनीति बनाने में आसानी होगी। 


Thursday, 6 August 2020

UPSC : Syllabus Pre &Mains

UPSC : Syllabus Pre &Mains

Candidates are advised to go through the Syllabus published in this Section for the Preliminary Examination and the Main Examination, as periodic revision of syllabus has been done in several subjects.

 

Part A—Preliminary Examination

         Paper I - (200 Marks)

                                                                                                Duration: Two hours

 

Current events of national and international importance.

History of India and Indian National Movement.

Indian and World Geography-Physical, Social, Economic Geography of India and the World.

Indian Polity and Governance-Constitution, Political System, Panchayati Raj, Public Policy, Rights Issues, etc.

Economic and Social Development-Sustainable Development, Poverty, Inclusion, Demographics, Social Sector Initiatives, etc.

General issues on Environmental ecology, Bio-diversity and Climate Change - that do not require subject specialization.

General Science.


सामान्य अध्ययन की रणनीति: प्रारम्भिक व मुख्य परीक्षा

UPSC
सामान्य रूप से छात्र-छात्राएं सामान्य अध्ययन की तैयारी दो भागों में करते हैं - प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा के लिए अलग-अलग। साथ ही निबंध और साक्षात्कार के लिए भी अलग-अलग तैयारी करते हैं। इस प्रक्रिया से तैयारी करने पर परीक्षा अत्यंत कठिन प्रतीत होती है और फिर इसके लिए समय भी अधिक लगता है। जबकि प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिए एक साथ समेकित तैयारी की आवश्यकता है। इससे समय की भी बचत होती है और यह परीक्षा कठिन के बजाय सरल प्रतीत होने लगती है। 
           
संघ लोक सेवा आयोग नई दिल्ली और राज्यों के लोक सेवा आयोगों के बदले पाठ्यक्रम पर एक दृष्टि डाली जाए तो यह ज्ञात होता है कि यह पाठ्यक्रम ‘ज्ञान के संश्लेषण के बजाए विश्लेषण’ की ओर संकेतित करता है। विभिन्न स्रोतों से संग्रहित ज्ञान को रटने की प्रवृत्ति की रणनीति में सम्यक परिवर्तन का समय आ गया है। किसी घटना को ‘क्या है’ के रूप में जानना काफी नहीं रह गया है बल्कि उसके संभावित प्रभाव व व्यावहारिक अनुप्रयोग संबंधी पक्ष अब काफी महत्वपूर्ण हो गया है। मतलब यह कि अब प्रारंभिकी के स्तर पर ही आपका समग्र परीक्षण संभव हो सकेगा ताकि मुख्य परीक्षा महज ज्ञान के बजाए बुद्धिमता की प्रस्पिद्र्धा का वास्तविक चरण हो सके। अब  तो समाचार पत्र और स्तरीय मासिक पत्रिका की भूमिका काफी बढ़ गयी है। यहां पर यह ध्यान देने की बात है कि अब ट्रेंड की ओर ध्यान न देकर सम्पूर्ण तैयारी को दृष्टिगत रखना चाहिए।  
सामान्य अध्ययन के पाठ्यक्रम में उपयुक्त स्तर की स्पष्ट सूचना नहीं होती है जिससे इसके कार्यकारी पाठ्यक्रम का निर्माण विगत वर्षाें के प्रश्नों के आधार पर करना आवश्यक हो जाता है। इससे न सिर्फ पाठ्यक्रम का पता चलता है बल्कि प्रश्नों के स्तर का भी पता चलता है।  सामान्य अध्ययन के कई खण्ड होते हैं। इन खण्डों की अलग-अलग तैयारी उचित नहीं है। इन खण्डों को अंतर वैषयिक  (inter-disciplinary) विधि से पढ़ा जाना चाहिए क्योंकि सभी विषय मिलकर एक पूर्ण विषय का निर्माण करते हैं जो सामान्य अध्ययन है। खण्ड विषयों के अंत संबंधों को ध्यान में रखकर एक जागरूक भारतीय (न्यूनतम स्नातक) से जितनी वस्तुपरक और विषयपरक तथ्यों की जानकारी अपेक्षित है उसे ही सामान्य अध्ययन माना गया है।
तैयारी के दौरान प्रत्येक तथ्यों एवं सूचनाओं पर गौर करें तथा देखें कि उनका उपयोग कहां-कहां किन किन रूपों में हो सकता है। इस प्रकार एक की श्रम और एक ही नोट्स कई बार उपयोग में आते रहते हैं। इस विधि के परिचालन से छात्र सामान्य अध्ययन, निबंध और साक्षात्कार तीनों की आंतरिक समझ भी विकसित हो पाती हैं। 
सिविल सेवा न केवल आपसे तथ्य की अपेक्षा रखता है बल्कि व्यापक व अच्छे विश्लेषण की भी मांग करता है। वस्तुतः इन दोनों को पृथक करना एक असंभव सा तर्क है क्योंकि, प्रत्येक तथ्य विश्लेषण पर आधारित हैऔर प्रत्येक विश्लेषण तथ्यों की बुनियाद से गहराई से जुड़ा है।
सामान्य अध्ययन के प्रत्येक विषय जैसे राजव्यवस्था, अर्थव्यवस्था आदि का दायरा महत्वपूर्ण है ओर इसे स्पष्ट रूप से चिन्हित किए जाने की आवश्यकता है। साथ ही विषयों के पारम्परिक अन्तर्सम्बन्ध पर विशेष ध्यान देने की भी आवश्यकता है।  


 prayagraj